चंद्रयान-3 के आखिरी चरण की तैयारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को उसके लैंडर मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया है, जिससे चंद्रमा पर भारत की यात्रा के आखिरी चरण की तैयारी शुरू हो गई है। अब लैंडर विक्रम 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यह लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर होगी, और इससे भारत दुनिया के चौथे देश बन सकता है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफलतापूर्वक पहुँचता है। इससे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, और चीन के साथ अंतरिक्ष यान रेस में शामिल हो जाएगा।
क्या चंद्रयान-3 से होगा इतिहास रचना?
चंद्रयान-3 के आखिरी इम्तिहानों के आगे का काउंटडाउन शुरू हो गया है। यह क्या वाकई में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण इतिहास रचने की संभावना है? यदि चंद्रयान-3 की सफलता होती है, तो यह दुनिया का पहला देश होगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफलतापूर्वक पहुँचता है। इससे भारत की अंतरिक्ष यान प्रौद्योगिकी में एक नई मिली उपलब्धि होगी, और यह विश्व को दिखाएगा कि भारत अंतरिक्ष शोध में भी प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।
https://twitter.com/isro/status/1692083786895474724?s=20
चंद्रयान-3 के पीछे की कहानी
चंद्रयान-3 का मिशन चंद्रयान-2 के फॉलोअप मिशन के रूप में है। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करना और विक्रम लैंडर के माध्यम से चंद्रमा क्षेत्र का अध्ययन करना है। चंद्रमा की सतह पर पहुँचने के बाद, रोवर लैंडर से बाहर निकलेगा और आगामी 14 दिनों के दौरान चंद्र क्षेत्र की जांच करेगा। इस अंतरिक्ष यान में एक लैंडर और एक रोवर है, जो प्रोपल्शन मॉड्यूल के माध्यम से चंद्र कक्षा तक पहुँचाया गया है।
डेटा कुरियस तथ्य:
चंद्रयान-3 के सफल पहलू से, भारत दुनिया में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफलतापूर्वक पहुँचने वाला चौथा देश बनेगा, और इससे भारत की अंतरिक्ष यान प्रौद्योगिकी में एक नई मिली उपलब्धि होगी।
तिथियाँ:
- प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर के अलग होने की तिथि: गुरुवार, दोपहर
- विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग की तिथि: 23 अगस्त
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